आज के समय में अलग-अलग प्रकार के बोर्ड गेम आते हैं, जिनमें से एक लूडो का गेम भी है। जहां एक तरफ लूडो गेम खेलने वाले लोगों की संख्या दिन ब दिन बढ़ती जा रही हैं तो वहीं दूसरी ओर काफी सारे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म आ चुके हैं जो लूडो खेल की पेशकश देते है।
हम में से ज्यादातर लोगों ने बचपन में यह गेम खेला होगा और आप किसी न किसी ऐसे व्यक्ति को जानते होगे जो आज भी लूडो गेम खेलते होगें। टेक्नोलॉजी बढ़ने के साथ साथ कई गैंबलिंग साइटें आ चुकी हैं।
पहले लूडो खेलने के लिए लूडो चाहिए होता था लेकिन आज आसानी से घर बैठे अपने फोन पर खेलने के लिए जा सकते हैं। इतना ही नहीं लूडो खेल से आज आप पैसा भी कमा सकते हैं इसके लिए आपको लूडो खेलकर कुछ काइंस इकठ्ठा करने की आवश्यकता होगी फिर आप इनको रियल कैश में परिवर्तन कर सकते हैं।
लूडो अपनी अप्रत्याशित ट्विस्ट और टर्न के कारण व्यापक रूप से लोकप्रिय बनता जा रहा है। इस खेल में कोई भी हारते हारते जीत सकता हैं तो वहीं जीतते जीतते हार सकता हैं।यह एक दिमाग वाला गेम भी माना जाता है हालांकि यह पासे पर निर्धारित गेम होता हैं। खेल में एक निश्चित स्तर की रणनीति भी शामिल है।
पैसा कमाने वाला गेम ऑनलाइन ludo खेल के बारे में सब जानते हैं लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि लूडो का आविष्कार किसने और कब और कैसे किया? यदि आप यह जानने के लिए उत्सुक हैं, तो लूडो के खेल के बारे में जानने के लिए यहां कुछ रोचक बातें हैं।
भारतीय खेल पच्चीसी पर आधारित
यह तो आप जानते होगे कि लूडो खेल का इतिहास काफी पुराना हैं और आपको शायद विश्वास न हो कि लूडो ने महाभारत में पहली बार अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी। इसके बजाय यह कौरवों और पांडवों के बीच पसंद का खेल बन गया। आपने देखा होगा कि जब आप महाभारत से जुड़े किसी सीरियल को देखते हैं तो वहां यह गेम खेलते हुए देखेंगे और जब पांडव सब कुछ हार गए थे तब भी यही गेम में दांव लगाकर खेला गया था।
लूडो के खेल के कारण ही कुरुक्षेत्र का युद्ध हुआ था। वहीं बहुत कम लोग जानते हैं कि इस विवादित खेल में जिन पासों का इस्तेमाल किया गया है उनमें जादुई शक्तियां शामिल थीं। पासे ने केवल शकुनि की बात मानी थी। जो वह बोलता वहीं नंबर पासे पर आ जाते हैं। हालांकि, महाभारत में शकुनि के परिवार के सदस्यों की शापित हड्डी से पासा तैयार किया गया था। यही सबसे बड़ा कारण था कि पासे पर वहीं नंबर आया जो शकुनि चाहता था।
इसके अलावा बात करें ऐतिहास अभिलेखों की तो ऐतिहासिक अभिलेखों के अनुसार लूडो को पच्चीसी से लिया गया है। यह ऐसा ही एक बोर्ड गेम था जो भारत में कई सदियों पहले खेला जाता था। भारतीय लोग काफी समय से इस खेल के बारे में जानते हैं और खेलते हैं।
सबसे पुराने रिकॉर्ड भारतीय महाकाव्य महाभारत के हैं, जहां पांडवों ने अपना पूरा सामान अपने कोरोवों को दे दिया था जब वे खेल हार गए थे। उन्होंने हर चीज को दांव पर लगा दिया था और वह हार गए थे। कोरवों ने पूछा कि क्या आप मेरे साथ लूडो खेल सकते हैं तो वहीं पांडव इस जांसे में आ गए थें।
उस समय बोर्ड गेम को चौपर कहा जाता था। जब हम एलोरा की गुफाओं में विभिन्न रॉक नक्काशियों का विश्लेषण करते हैं तो एक और सबूत मिल सकता है। इनमें से कुछ नक्काशी एक बोर्ड गेम को दर्शाती है जो आधुनिक लूडो के समान दिखती है।
इसका अर्थ है कि इसके अविष्कार भारत देश में ही हुआ था। वहीं यह एक ऐतिहासिक गेम हैं लेकिन समय के साथ इसके साथ नाम बदलता चला गया।
इस गेम का इंग्लैंड में पेटेंट
इन भारतीय बोर्ड खेलों से प्रेरणा लेते हुए, आधुनिक लूडो संस्करण का 1896 में इंग्लैंड में अल्फ्रेड कोलियर द्वारा पेटेंट कराया गया था। जबकि नियम काफी हद तक समान थे, आयताकार पासे को एक घन के साथ बदल दिया गया था। एक पासा कप भी शामिल किया गया था, जिसने पासा फेंकने के लिए अपने हाथ का उपयोग करने के पहले के अभ्यास को बदल दिया था।
पासे के बदलते आकार और पासा कप के उपयोग ने खिलाड़ियों की ओर से किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी की संभावना को कम कर दिया। छोटे आकार के क्यूबिक पासे ने यह भी सुनिश्चित किया कि बोर्ड पर पासा फेंकने पर टोकन परेशान नहीं हुए।
दुनिया भर में लूडो वेरिएंट
लूडो और इसके वेरिएंट कई देशों में खेले जाते हैं। इसका अर्थ है अलग अलग देश में अलग अलग नाम से जाना जाता है। इसके अलावा ज्यादातर मामलों में इसे एक अलग नाम से जाना जाता है।
उदाहरण के लिए, इसे स्वीडन में फिया, स्विटजरलैंड में इइल मिट वेइल (जल्दी मेक पेस), स्पेन में पर्चिस, इटली में नॉन टारबियरे, नीदरलैंड्स में मेन्स एर्गर जे नीट, फ्रांस में पेटिट्स शेवॉक्स और वियतनाम में क्यू कै एनगाआ कहा जाता है।
इनमें से कुछ खेल एक पासे का उपयोग करते हैं जबकि अन्य में दो पासे की आवश्यकता होती है। इसी तरह, खेल के नियम भी एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में भिन्न होते हैं।
लूडो के बदलते नाम और टेनोलॉजी के साथ बदलवा
लूडो गेम का इतिहास पुराना होने के साथ काफी दिलचस्प भी हैं जहां महाभारत में इसे चौसर नाम से जाना जाता था और 2 पासों के साथ खेला जाता था और 4 लोग एक साथ लूडो गेम को खेल सकते थे। वहीं काफी पुराने अभिलेखों से पता चला इसके जैसा गेम पच्चीसी था।
समय बदलने के साथ आज इसे लूडो नाम से जाना जाता है भारत में हर बच्चे से बच्चा इस खेल के बारे में जानते है और खेलते भी हैं। अब इस समय ऑनलाइन लूडो खेलना काफी प्रचलित होता चला गया है।
आज इसे खेलकर पैसा कमाना काफी आसान बन चुका हैं। लूडो खेलना काफी दिलचस्प सा लगता है क्योंकि इसमें किसी की भी जीत हो सकती हैं। लूडो गेम किस्मत और दिमाग दोनों का खेल हैं जो काफी लोकप्रिय और प्रचलित हैं। जिसके साथ ही आप अन्य गतिविधियों के साथ पैसा कमा सकते हैं।