इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर (ISP) क्या है, उदाहरण से समझिए।

अक्सर लोग पूछते है, Internet कहां से आता है? या इंटरनेट का मालिक कौन है? इस पोस्ट में आप “Internet Service Provider” अथवा ISP क्या है? और इंटरनेट कनेक्शन प्रदान करने में ISPs की क्या भूमिका होती है, इस बारे में जानेंगे।

ISP क्या है? (What is ISP in Hindi)

Internet Service Provider अथवा ISP वो कंपनी है, जो लोगों को इंटरनेट कनेक्शन प्रदान करती है। ISPs के माध्यम से ही आप अपने कंप्यूटर, मोबाइल फोन और अन्य इंटरनेट सक्षम डिवाइस (IoT Devices) को इंटरनेट से कनेक्ट कर पाते है।

यूजर्स को इंटरनेट एक्सेस प्रदान करने के अलावा कई ISPs अन्य इंटरनेट सर्विसेज जैसे कि टेलीफोन और टेलीविजन सेवाएं, ईमेल सेवा, सॉफ्टवेयर पैकेज (जैसे ब्राऊजर), वेब साइट डिज़ाइन, डोमेन रेजिस्ट्रेशन, वेब होस्टिंग सेवाएं इत्यादि प्रदान करती है।

समान्यतः ISP, यूजर को जो भी सेवाएं प्रदान करते है, उसके लिये एक तय शुल्क (Fee) यूजर से लिया जाता है। तो यदि आपके पास एक कंप्यूटर और मॉडेम है, लेकिन इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर की सदस्यता (ISP subscription) नही है, तो आप इंटरनेट एक्सेस नही कर पाएंगे।

डिवाइस को इंटरनेट से कनेक्ट करने के लिये ISP एक entrance (gateway) की तरह है। इस द्वार को पार करने के बाद ही आप कई ऑनलाइन एक्टिविटी, जैसे कि गूगल पर जानकारी खोजना, यूट्यूब पर वीडियो देखना, फेसबुक या दूसरे मैसेंजर ऐप के माध्यम से लोगों से संवाद करना और ऑनलाइन शॉपिंग इत्यादि कर पाते है।

सन 1984 में फर्स्ट इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर कंपनी (The World) संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) में स्थापित की गई थी। भारत मे पहली सार्वजनिक रूप से उपलब्ध इंटरनेट सेवा 15 अगस्त 1995 में विदेश संचार निगम लिमिटेड (VSNL) द्वारा शुरू की गई।

कुल मिलाकर ISP का मुख्य कार्य इंटरनेट एक्सेस प्रदान करना है। भारत के कुछ प्रमुख क्षेत्रीय प्रदाताओं (regional providers) में Jio, Airtel, Vodafone, Idea, और BSNL शामिल है।

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इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर की आवश्यकता क्यों है?

Internet Service Provider ISP in Hindi

क्या हम बिना ISP के इंटरनेट एक्सेस कर सकते है? ये सवाल इसलिये पूछा जाता है, क्युकी अधिकांश लोग नही जानते कि Internet का मतलब क्या है? इंटरनेट एक विशाल नेटवर्क है, जो दुनियाभर में मौजूद कम्प्यूटरों को आपस मे जोड़ता है।

गूगल का सर्वर आपसे कई हजारों किलोमीटर दूर यूनाइटेड स्टेट में है। लेकिन जब आप Google.com खोलते है, तो उनकी साइट कुछ ही सेकंड में आपके डिवाइस पर खुल जाती है। ये सब इसलिए होता है, क्योंकि गूगल का सर्वर और आपकी डिवाइस एक ही नेटवर्क पर इंटरकनेक्ट है।

तो गूगल के सर्वर और आपकी डिवाइस के बीच कनेक्टिविटी बनाने का काम ISP का होता है। ये करने के लिये ISP द्वारा फाइबर ऑप्टिक केबल, टेलीफोन टॉवर और सेटेलाइट इत्यादि का उपयोग किया जाता है। तो एक तरह से ISPs ही Internet है।

हमारा सवाल ये है, कि क्या हम बिना ISP इंटरनेट एक्सेस कर सकते है? हाँ, बिल्कुल कर सकते है, परन्तु उसके लिये आपको खुद का इंटरनेट बनाना होगा। अपने घर से लेकर गूगल के सर्वर तक एक केबल लाइन बिछानी होगी। कम से कम एक आम व्यक्ति के लिये ये करना असम्भव है।

Internet से कनेक्ट करने के लिये कई विशेष telecommunications, Networking, और Routing devices की जरुरत पड़ती है। अब एक आम व्यक्ति तो इस तरह के उपकरणों की व्यवस्थता नही कर सकता इसलिये ISP उन्हें इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिये अपना नेटवर्क किराये (Rent) पर देते है।

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ISP कंपनियों के उदाहरण

इंटरनेट को Network of Networks इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इसे किसी एक कंपनी या संगठन ने स्थापित नही किया है। बल्कि कई अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय ISP कंपनियों के नेटवर्क मिलकर इंटरनेट बनाते है। नीचे आपको ISP के तीनों स्तरों के बारे में बताया गया है। जिनमे क्रमशः Tier 1, Tier 2 और Tier 3 ISPs शामिल है।

आइये नेटवर्क के अलग-अलग स्तर पर काम करने वाली इन ISPs कंपनियों को उदाहरण से समझे:

Tier 1 ISP

ये सबसे उच्च स्तर के इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर है। क्योंकि अधिकांश नेटवर्क लाइनें Tier 1 द्वारा ही स्थापित की जाती है। ये न सिर्फ क्षेत्रीय स्तर पर नेटवर्क लाइनें स्थापित करते है, बल्कि दूसरे देश में इंटरनेट कनेक्शन प्रदान करने के लिये समुद्र के नीचे Internet cable बिछाते है।

असल मे Tier 1 ISP ही इंटरनेट को वैश्विक स्तर तक पहुचाने में अहम भूमिका निभाते है। Peering समझौते के तहत, Tier 1 अन्य Tier 1 ISPs के नेटवर्क से फ्री में कनेक्ट कर सकती है और उनके नेटवर्क का उपयोग करके इंटरनेट ट्रैफिक का आदान-प्रदान कर सकती है।

Tier 1 इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर सीधे लोगों (end user) को इंटरनेट कनेक्शन प्रदान नही करती है, बल्कि ये उसे tier 2 को बेचती है। भारत के कुछ प्रमुख tier 1 ISPs के उदाहरण:

  • Tata
  • Bharti
  • Reliance
  • VSLNL

Tier 2 ISP

Tier 2 ISP वो सर्विस प्रोवाइडर है, जो Tier 1 इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर से इंटरनेट ट्रांसिट खरीदते है। Tier 2 के नेटवर्क किसी क्षेत्र या एक देश में फैले होते है अब यदि इन्हें किसी दूसरे देश के इंटरनेट से जुड़ना है, तो इन्हें tier 1 से कनेक्ट करने की आवश्यकता होती है।

हालांकि ये भी peering समझौते के तहत बाकी Tier 2 कंपनियों से कनेक्टेड होते है और उनके नेटवर्क का उपयोग इंटरनेट ट्रैफिक को भेजने के लिये करते है। भारत के प्रमुख Tier 2 ISP के उदाहरण नीचे दिये गए है:

  • Jio
  • Airtel
  • Vodafone & Idea
  • BSNL

Tier 3 ISP

ये Tier 2 से इंटरनेट ट्रांसिट खरीदते है और घरों व दफ़्तरों में इंटरनेट सेवा प्रदान करते है। Tier 3 इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर के खुद के नेटवर्क नही होते है, बल्कि ये लोगों को इंटरनेट से कनेक्ट करने के लिए Tier 2 के नेटवर्क का उपयोग करते है। कुछ प्रमुख Tier 3 ISP के उदाहरण:

  • Excitel
  • MTNL
  • SITI Cable
  • Spectra
  • Gigatel Networks etc.

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ISPs यूजर को इंटरनेट से कैसे जोड़ते है?

इसके लिये सबसे पहले आप एक सर्विस प्रोवाइड की सदस्यता (ISP subscription) लेते है। जिसके बाद वो आपको अपने नेटवर्क से कनेक्ट करने की अनुमति देते है। एक बार आपकी डिवाइस इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर के नेटवर्क से कनेक्ट हो जाये फिर वो आपकी डिवाइस को एक IP address देते है।

ये एक यूनिक नंबर होता है, जो इंटरनेट जैसे विशाल नेटवर्क पर कंप्यूटरों को उनकी एक पहचान देता है। बिना IP address कोई भी कंप्यूटर, नेटवर्क पर दूसरे कंप्यूटर के साथ डेटा का आदान-प्रदान नही कर पायेगा। अपना आईपी एड्रेस कैसे पता करें? जानने के लिये ये पोस्ट पढ़े।

जब आप गूगल की साइट खोलते है, तो आपका ब्राउज़र आपके ISP को ये रिक्वेस्ट भेजता है, कि इस आईपी एड्रेस वाली डिवाइस को ये वेब पेज चाहिये। जिसके बाद आपका सर्विस प्रोवाइडर गूगल के सर्वर को वह रिक्वेस्ट भेजता है, जिसके बाद गूगल के सर्वर द्वारा वो वेबपेज आपको भेज दिया जाता है।

विभिन्न प्रकार के ISP कनेक्शन

ग्राहकों को कनेक्टिविटी प्रदान करने लिये ISPs कई प्रकार के इंटरनेट कनेक्शन प्रदान करते है। अपनी व्यक्तिगत आवश्यकता को देखते हुये आप इंटरनेट कनेक्शन का चुनाव कर सकते है। नीचे कुछ प्रमुख ISP कनेक्शन की जानकारी दी गयी है।

डायल-अप कनेक्शन

इसमें कंप्यूटर को इंटरनेट से जोड़ने के लिये टेलीफोन लाइन का उपयोग होता है। इसका मतलब है कि आप अपने घर के लैंडलाइन का उपयोग इंटरनेट सेवा प्रदाता से जुड़ने के लिये करते है, जो फिर आपको इंटरनेट से कनेक्ट करता है।

Dial-up connection को सेट-अप करने के लिये Modem की आवश्यकता होती है। कंप्यूटर और टेलीफोन लाइन के बीच ये मॉडम इंटरफेस की तरह कार्य करता है।

हालांकि ये कनेक्शन बहुत slow होता है, परंतु ऐसे छोटे ग्रामीण क्षेत्र जहां केबल कनेक्शन नही है, वहां पर dialup connection का उपयोग इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिये होता है।

डी.एस.एल कनेक्शन (DSL- Digital Subscriber Line)

DSL को dial-up कनेक्शन के बेहतर रूप में देखा जाता है। क्योंकि यहां भी इंटरनेट कनेक्टिविटी बनाने के लिये मौजूदा टेलीफोन लाइनों का उपयोग किया जाता है, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण बदलावों के साथ।

इसे Broadband Connection का एक रूप भी कह सकते है। कई लोकल फोन कंपनी DSL कनेक्शन प्रदान करती है। ये मौजूदा टेलीफोन नेटवर्क के माध्यम से ही आपके घर या ऑफिस में हाई-स्पीड इंटरनेट देने का काम करते है।

कनेक्टिविटी स्थापित करने के लिये एक Cable modem या फिर DSL transceiver का उपयोग किया जाता है। DSL लगवाने के बाद आप अपने इंटरनेट कनेक्शन को खुला छोड़ सकते है और फिर भी वॉयस कॉल के लिये फोन लाइन का उपयोग कर सकते है।

केबल इंटरनेट

ये ISP कनेक्शन भी, Broadband इंटरनेट एक्सेस की श्रेणी में आते है। परन्तु इसमें टेलीफोन लाइन के बजाय केबल टीवी नेटवर्क का उपयोग इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिये किया जाता है।

सबसे पहले इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर आपके घर या ऑफिस में एक केबल लाइन (coaxial cable) बिछाते है, जिसे केबल मॉडम से कनेक्ट किया जाता है। फिर इथरनेट केबल के द्वारा मॉडम को आपके कंप्यूटर से कनेक्ट किया जाता है।

आम टेलीफोन लाइन के मुकाबले Coaxial cable अधिक गति से डेटा स्थान्तरित कर सकती है।

वाई-फाई कनेक्शन

आज हमारे पास Wi-Fi चालू स्मार्टफोन और लैपटॉप उपलब्ध है। इसलिए आपको होटल, रेस्टोरेंट और एयरपोर्ट जैसे पब्लिक प्लेसेस में Wi-Fi Hotspot की सुविधा बड़े आसानी से मिल जाएगी। जिससे कनेक्ट करके आप अपनी डिवाइस में इंटरनेट एक्सेस कर सकते है।

Wireless कनेक्टिविटी के लिये आपको modem के अलावा router की जरूरत भी होती है। Wi-Fi अन्य वायरलेस तकनीकों की तरह ही कार्य करता है। ये दो डिवाइस के बीच सिग्नल ट्रांसफर करने के लिये रेडियो फ्रीक्वेंसी का उपयोग करता है।

अगर आपके घर मे एक से अधिक कंप्यूटर डिवाइस है, तो उन्हें इंटरनेट से कनेक्ट करने के लिये आप अपने घर में Wi-Fi Internet Connection लगवा सकते है।

सेटेलाइट इंटरनेट एक्सेस

अगर आप ऐसे क्षेत्र में है, जहां पर इंटरनेट कनेक्शन के बेहतर विकल्प उपलब्ध नही है, तो आप सेटेलाइट इंटरनेट का उपयोग कर सकते है। ये एक वायरलेस कनेक्शन है, जिसमे सेटेलाइट से आपके कंप्यूटर तक डेटा भेजने के लिये तीन satellite dishes का उपयोग होता है।

जिसमे एक डिश एंटीना, इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर के पास, एक स्पेस में और एक आपके घर वाली छत में लगाया जाता है। इसके अलावा आपको एक केबल के माध्यम से डिश एंटीना को मॉडम से जोड़ना होता है। इस तरह के इंटरनेट कनेक्शन के लिये आप सेटेलाइट इंटरनेट प्रोवाइडर से कांटेक्ट कर सकते है।

फाइबर-ऑप्टिक इंटरनेट

ये एक नई टेक्नोलॉजी है, जिसकी इंटरनेट स्पीड डायल-अप, DSL और केबल कनेक्शन की तुलना में कई गुना अधिक है। डाउनलोड स्पीड लगभग 1 Gbps है। इंटरनेट कनेक्टिविटी बहाल करने के लिये इसमे Fiber-optic cable का प्रयोग होता है।

हालांकि Fiber Internet Service अभी सिर्फ कुछ ही प्रमुख शहरों में उपलब्ध है। प्रोवाइडर इसे अधिक शहरों तक उपलब्ध इसलिए नही करा पा रहे क्योंकि फाइबर-ऑप्टिक केबल को स्थापित करने में बहुत अधिक लागत लगती है।

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क्या ISP आपकी इंटरनेट एक्टिविटी देख सकता है?

जी हाँ, आप जो भी ऑनलाइन करते है उसका रिकॉर्ड आपके इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर (ISP) के पास होता है। आपकी सर्च हिस्ट्री से लेकर आपने कौन-कौन सी वेबसाइट एक्सेस की है, ये सब जानकारी आपके इंटरनेट प्रोवाइडर द्वारा ट्रैक की जा सकती है।

जैसा हमने उप्पर बताया था, कि आप ISP के माध्यम से ही इंटरनेट से जुड़ते है। इसका मतलब हुआ कि जो भी एक्टिविटी आप इंटरनेट पर कर रहे है, फिर चाहे ईमेल भेजना हो, कोई फाइल डाउनलोड करना हो सभी इंटरनेट एक्टिविटी कहि न कही आपके सर्विस प्रोवाइडर के सिस्टम में स्टोर हो रही है।

संक्षेप में

ISP यानी Internet Service Provider एक कंपनी है, जो आपको इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करती है। उदाहरण के लिये Jio, Airtel, Vodafone, Idea और BSNL ये सभी भारत के प्रमुख इंटरनेट प्रोवाइडर है। इन कंपनियों ने मिलकर पूरे देश मे नेटवर्क का एक जाल बिछा रखा है, जिसकी मदद से हम इंटरनेट एक्सेस कर पाते है।

ISP के इस नेटवर्क से कनेक्ट करने के कई तरीके है, जिसमें DSL, केबल ब्रॉडबैंड, वायरलेस एवं Wi-Fi ब्रॉडबैंड, सेटेलाइट एवं मोबाइल ब्रॉडबैंड और फाइबर ऑप्टिक ब्रॉडबैंड इत्यादि शामिल है।

तो उम्मीद है, ये पोस्ट ISP क्या है? आपको ज्ञानवर्धक लगी हो। यदि पोस्ट से सम्बंधित कोई सवाल या सुझाव आपके पास हो तो कृपया नीचे कमेंट कर जरूर बताये। पोस्ट शेयर करके इसे अधिक लोगों तक पहुंचा सकते है, ताकि वे भी इस बारे में जान पाए।

8 thoughts on “इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर (ISP) क्या है, उदाहरण से समझिए।”

  1. Bahut achhi jankari mere bhai Apna mob no send kro (यूजर की प्राइवेसी को ध्यान में रखकर एडमिन द्वारा नंबर हटा दिया गया है।) is no par.

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    • धन्यवाद Nizat, यूजर के सकारात्मक कमेंट हमें और बेहतर जानकारी प्रदान करने के लिए प्रेरित करते है।

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