सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के इस अध्याय What is Software Configuration Management in Hindi? में हम चर्चा करेंगे कि सॉफ्टवेयर कॉन्फ़िगरेशन मैनेजमेंट (SCM) क्या है, इसकी need, SCM में शामिल processes और tools के बारे में। लेख को अंत तक पढ़ने के बाद आपको इस विषय की पूरी जानकारी हो जाएगी।
What is Software Configuration Management in Hindi?
Software Configuration Management कुछ policies, processes और tools का एक समूह है जिसका use हम सॉफ्टवेयर में changes को manage करने के लिये करते है। जब भी हम कोई software build करते है, तो समय के साथ उसे upgrade करने की आवश्यकता होती है। upgrade करने का मतलब है कि हमें s/w में सुधार करना होता है ताकि वह हर तरह से और बेहतर हो पाए।
इसके अलावा चूंकि requirements हर रोज change हो रही है इसलिए भी हमें अपने s/w को updated रखने की जरूरत है। अब changes इतने जरूरी है तो हमें इन्हें manage करने के लिये special system की आवश्यकता है। क्योंकि जब s/w समय के साथ बदल रहा होता है तो यह अपने track से slip कर सकता है। इसलिये हमें यहां पर software configuration management की जरूरत पड़ती है।
SCM का कार्य changes को software में implement किये जाने से पहले उनको analyze करके record करना, किये गए परिवर्तनों का निरीक्षण और रिपोर्टिंग करना, और इस तरह से control करना जिससे s/w की quality में सुधार हो और errors कम हो। यह जरुरी है कि हम इन changes को प्रभावी रूप से control करें क्योंकि अगर इन changes को अच्छे से जांचा नहीं गया तो वे आपके मौजूदा सिस्टम को कमजोर कर सकते है।
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Software Configuration Items (SCI)
SCI वह सूचना है जिसे software engineering process के हिस्से के रूप में ले जाया जाता है। उदाहरण के लिए:
- Computer Program – source program, executable program.
- Document Describing Programs – technical/ user manuals.
- Data – program components, external data, file structure.
Configuration Management Activities
Configuration management एक संपूर्ण प्रणाली है जिसमें चार activities शामिल है:
- Change management
- Version management
- System building
- Release management
1. Change management: इसमें हम customers और developers से आने वाले changes की requests का track रखते है, changes की cost और impact को भी check करते है, यह भी तय करते है कि क्या वास्तव में परिवर्तन की आवश्यकता है? यदि हां, तो कब इसकी आवश्यकता है।
2. Version Management: यह उस software system के version numbers का track रखता है जिसका नाम पहले से ही इसे परिभाषित कर रहा है।
3. System building: यह executable system बनाने के लिए सभी program components और libraries को assemble और link करने की process है। यह एक जटिल प्रकिया है, यह phase पिछले build की जांच करने लिए version control system के साथ communicate भी करता है और यह तय करता है अगला build क्या होना चाहिए।
कभी-कभी client को देने से पहले developers अपने testing उद्देश्य के लिए एक system build करते है, उस system का भी track रखना महत्वपूर्ण है।
4. Release management: यह customer को release किये गए software’s का track रखता है। यह अन्य सभी प्रकार की releases का भी track रखता है।
Conclusion (संक्षेप में)
तो, Software Configuration Management विकसित हो रहे s/w में changes को manage करने से सम्बंधित है। SCM को quality management process के भाग के रूप में भी देखा जा सकता है।
उम्मीद है, इस लेख What is Software Configuration Management in Hindi को पढ़कर आपकी इस विषय से सम्बंधित सभी शंकाये दूर हो गयी होंगी। यदि फिर भी आपके पास कोई सवाल या सुझाव हो तो हमें नीचे comment में जरूर बताएं। अंत मे यह पोस्ट ज्ञानवर्धक लगी हो तो इसे अपने social media पर share जरूर करें।
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