सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के एक और लेख What is Spiral Model in Hindi में हम चर्चा करेंगे कि स्पाइरल मॉडल क्या है, इसके phases, advantage और disadvantage के बारे में। लेख को अंत तक पढ़ने के बाद आपको इस विषय की पूरी जानकारी हो जाएगी।
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स्पाइरल मॉडल क्या है
स्पाइरल मॉडल के Phases
फायदे और नुकसान
अक्सर पूछे गए सवाल (FAQs)
What is Spiral Model in Hindi (स्पाइरल मॉडल क्या है?)
Spiral model एक software development process model है। इस मॉडल में iterative और waterfall model दोनों की ही विशेषताएं होती है। ऐसे projects जो large और complex हो वहां पर इस मॉडल का उपयोग किया जाता है।
इस मॉडल का नाम spiral इसलिए पड़ा क्योंकि अगर हम इसका figure देखें तो वह एक spiral जैसा दिखता है, जिसमें एक लम्बी घुमावदार रेखा center point से शुरू होकर उसके चारों और कई घेरे (loops) बनाती है। spiral में कितने loops होंगे यह पहले से तय नही होता है बल्कि यह project के आकार और user की बदलती requirements पर निर्भर करता है। spiral के प्रत्येक loop को हम सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट प्रोसेस का एक phase भी कहते है।
एक software project बार-बार इन loops से iterations में गुजरता है। प्रत्येक iteration के बाद s/w का अधिक से अधिक complete version विकसित किया जाता है। इस मॉडल की सबसे खास बात यह है कि इसके प्रत्येक phase में risks को identified किया जाता है और उन्हें prototyping के माध्यम से resolve किया जाता है। इस feature को Risk Handling भी कहते है।
चूंकि इसमें अन्य SDLC models के approach को भी शामिल किया गया है इसलिये इसे Meta Model भी कहा जाता है। इसे पहली बार Barry Boehm ने 1986 में विकसित किया था।
स्पाइरल मॉडल का उपयोग कब और कहाँ करना चाहिए:
- यह मॉडल large projects के लिये सबसे उपयुक्त है।
- इस मॉडल का उपयोग वहां करें जब risk और cost का मूल्यांकन करना महत्वपूर्ण हो।
- जब customer अपनी requirements को अच्छे से नहीं समझा पा रहा हो।
- जहां पर किसी भी समय project में changes की आवश्यकता हो सकती है।
- जब project को निरंतर enhancement की जरूरत हो।
अन्य SDLC Models: Waterfall model, Iterative model, Prototype model, Agile model, RAD model, Incremental model.
Phases of Spiral Model in Hindi
Spiral Model में s/w development की पूरी प्रक्रिया को चार phases में वर्णित किया जाता है जो project के पूरा हो जाने तक दोहराये जाते है। वे phases इस प्रकार है:
Determining objectives and alternate solutions: पहले phase में customer की s/w से सम्बंधित जो भी requirements होती है उन्हें collect किया जाता है। जिसके आधार पर objectives (उद्देश्य) को identified करके उनका analysis किया जाता है और विभिन्न alternative solution प्रस्तावित किये जाते है।
Identifying and resolving risks: इस phase में सभी प्रस्तावित solutions का आंकलन करके सबसे सर्वोत्तम solution को चुना जाता है। अब उस solution को analyze करके उससे सम्बंधित risks को identity किया जाता है। अब किसी सर्वोत्तम रणनीति के माध्यम से identified risks को resolve किया जाता है।
Develop and test: अब s/w को develop करना शुरू किया जाता है। इस phase में विभिन्न features को implement किया जाता है, अर्थात उनकी coding की जाती है। फिर testing के माध्यम से उन features को verify किया जाता है।
Review and plan for the next phase: इस phase में customer को s/w का developed version दे दिया जाता है वो उसे evaluate करता है। अपने feedback देता है और नयी requirements बताता है। अंत मे next phase (next spiral) की planning शुरू की जाती है।
Advantage and Disadvantage of Spiral Model in Hindi
Advantage | Disadvantage |
---|---|
अगर हमें s/w में अतिरिक्त functionality जोड़नी हो या कोई changes करने हो तो इस मॉडल के माध्यम से हम बाद के stages में भी ऐसा कर सकते है। | यह SDLC का सबसे अधिक complex model है जिस कारण इसे manage करना काफी मुश्किल है। |
बड़े और जटिल प्रोजेक्ट के लिए Spiral model अनुकूल है। | यह मॉडल छोटे प्रॉजेक्ट के लिये अनुकूल नहीं। |
Project में कितनी cost लगेगी इसका अनुमान लगाना आसान होता है। | इस मॉडल में लगने वाली cost काफी high होती है। |
इस मॉडल के प्रत्येक phase में risk analysis किया जाता है। | अन्य models के मुकाबले इसमें अधिक documentation की आवश्यकता है। |
Customer अपने software के look को development process की early stages में ही देख सकता है। | समय-समय पर प्रोजेक्ट का मूल्यांकन और समीक्षा करने के लिये अनुभवी विशेषज्ञों की जरूरत होती है। |
चूंकि development process के दौरान customer से continues feedback लिये जाते है इससे customer satisfaction की संभावना बढ़ जाती है। | इस मॉडल का उपयोग करने पर project की सफलता risk analysis phase पर काफी निर्भर करती है। |
FAQs
स्पाइरल मॉडल को Meta Model क्यों कहा जाता है?
स्पाइरल मॉडल को Meta model इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें अन्य SDLC models शामिल होते है।
स्पाइरल मॉडल को किसने विकसित किया?
Barry Boehm ने 1986 में इस मॉडल को पेश किया था।
स्पाइरल मॉडल की मुख्य विशेषता क्या है?
Risk management इसकी सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है।
स्पाइरल मॉडल में कितने Phases होते है?
इसमें चार phases होते है: प्लानिंग, रिस्क एनालिसिस, इंजीनियरिंग, इवैल्यूएशन।
Conclusion (संक्षेप में)
उम्मीद है, इस पोस्ट What is Spiral Model in Hindi? (स्पाइरल मॉडल क्या है) को पढ़ने के बाद आपको यह software development model अच्छे से समझ में आ गया होगा। इसके साथ-साथ इसे कब उपयोग करना चाहिए, इसके phases, advantage और disadvantage की जानकारी भी आपको हो गयी होगी।
यदि फिर भी इस विषय से सम्बंधित कोई सवाल या सुझाव हो तो आप नीचे कमेंट के माध्यम से हमसे पूछ सकते है। अंत में पोस्ट ज्ञानवर्धक लगी हो तो कृपया इसे Social Media पर Share जरूर करे, ताकि आपके माध्यम से अन्य लोगों तक यह जानकारी पहुंच पाए।