Prototype Model in Hindi | Advantages & Disadvantages

इस लेख What is Prototype Model in Hindi में हम चर्चा करेंगे कि सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में प्रोटोटाइप मॉडल क्या है, इसके विभिन्न phases, types, advantage और disadvantage के बारे में। लेख को अंत तक पढ़ने के बाद आपको इस विषय से सम्बंधित पूरी जानकारी प्राप्त हों जायेगी।

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प्रोटोटाइप मॉडल क्या है
प्रोटोटाइप मॉडल के Phases
प्रोटोटाइपिंग मॉडल के प्रकार
फायदे और नुकसान

What is Prototype Model in Hindi? (प्रोटोटाइप मॉडल क्या है)

Prototype Model एक software development model है। इसमें actual software को बनाने से पहले उसका एक prototype बनाया जाता है। इसके बाद उस prototype का मूल्यांकन किया जाता है और फिर client की requirements के अनुसार उस पर फिर से काम किया जाता है, जब तक कि final acceptable product प्राप्त न हो जाये।

आइये इस परिभाषा को उदाहरण के माध्यम से समझते है। मान लीजिये एक client आपके पास अपनी कुछ requirements के साथ software बनवाने के लिए आता है। लेकिन उसकी जो requirements है वो पूरी तरह से clear नहीं है, या वो अभी अपने business में नया है तो उसे नहीं मालूम कि उसके software में क्या-क्या functionality होनी चाहिए, या आपको लगता है कि जब आप client को software build करके देंगे तो संभावना है कि वह end product से unsatisfied हो जाए।

ऐसी स्थिति में हम software को बनाने से पहले उसका एक prototype या sample बनाकर अपने client को दिखाते है। इसे हम s/w का working model कहते है जिसमें कुछ limited functionality को जोड़ा गया होता है। इससे client को एक idea मिल जाता है कि उनका s/w कैसा होने वाला है। इसे हम किसी software का toy implementation भी कहते है।

अब अगर इसको client द्वारा approve किया जाता है तो हम actual software को बनाना शुरू करते है। यदि client उसमें कुछ modification या changes करवाना चाहता है तो हम फिर से एक नया prototype बनाकर client को दिखाते है और ऐसा तब तक किया जाता है जब तक client उस final product से संतुष्ट न हो जाये।

हालांकि इस working model में वह same functionality नहीं होती जो original software में होने वाली है, इसलिए इसे dummy model भी कहते है। इससे हमें client के उपयोगी feedback प्राप्त होते है। यह एक बेहद ही प्रसिद्ध software development model है।

Prototype Model का उपयोग कब करें:

  • Prototype model का उपयोग तब करना चाहिये जब requirements unclear हो या फिर आपके पास project से सम्बंधित detailed information का अभाव हो।
  • यह उस तरह के project के लिए बेहद useful है जहां client के साथ बहुत अधिक interaction की आवश्यकता हो। जहां client बिना delay किए communicate कर सकता हो।

अन्य SDLC Models – Classical waterfall model, Iterative model, Spiral model, Agile model, RAD model, Incremental model.

Phases of Prototype Model in Hindi

Prototype Model in Hindi
Fig. Phases of Prototype Model

Prototype model में software development के लिए जिन phases को follow किया जाता है वे इस प्रकार है:

Requirement gathering: Prototype model के first phase में client से कुछ basic requirements एकत्रित की जाती है। यानी ये समझने की कोशिश होती है कि client अपने s/w में क्या functionality चाहता है। इसके लिए client से interview के जरिये आमने-सामने बात होती है और ये समझा जाता है कि उनकी s/w से क्या expectations है।

Quick Design: इस phase में जो भी प्रारंभिक requirements हमें client से प्राप्त हुई होती है उनके आधार पर एक basic design तैयार किया जाता है। इसमें ज्यादा समय न लगाकर सिर्फ आवश्यक चीजों को ही शामिल किया जाता है जैसे user interface, आदि। यह quick design हमें प्रोटोटाइप को develop करने में मदद करता है।

Build Prototype: अब quick design के आधार पर s/w के prototype को develop किया जाता है। यह s/w का एक small working model होता है। जो client को एक brief idea देता है कि actual product कैसा होगा। हालांकि यह एक complete software नहीं होता है।

Client Evaluation: प्रोटोटाइप के बन जाने के बाद उसे evaluation के लिये client के पास भेजा जाता है। client मूल्यांकन करके यह बताता है कि जैसी expectations उसकी s/w से थी क्या वो वैसा ही बनाया गया है। अगर हाँ, तो development team उस प्रोटोटाइप के आधार पर s/w बनाना शुरू करती है। अगर नहीं, तो इस स्थिति में development team द्वारा client के feedback और suggestions के आधार पर एक नया प्रोटोटाइप तैयार करने के लिए भेजा जाता है।

Refining Prototype: इस phase में prototype को refine किया जाता है। जो भी feedback हमें client से प्राप्त हुए होते है उन्हें implement करके एक नया प्रोटोटाइप बनाया जाता है और फिर से client के पास evaluation के लिये भेजा जाता है। ये प्रकिया तब तक repeat होती है जब तक client उसे approved न कर दें। एक बार जब client satisfied हो जाता है तो उस final prototype को developers के पास भेजा जाता है।

Implementation, Testing, Deployment & Maintenance: अब developers उचित programming languages का उपयोग करके final prototype को coding में implement करते है। इसके बाद developed s/w को test किया जाता है अगर कोई error/bug नहीं है तो फिर उसे deployed कर दिया जाता है और वह client के उपयोग करने के लिए उपलब्ध हो जाता है। अगर s/w के working life में कोई problem आती है तो उसे maintenance team द्वारा resolve किया जाता है।

प्रोटोटाइपिंग मॉडल के प्रकार

Prototyping model विभिन्न प्रकार के होते है। clients की क्या requirements है उसके आधार पर developers किसी एक prototyping technique को चुनते है जो इस प्रकार है:

1) Rapid Throwaway Prototyping –
इस method में, जो भी प्रारंभिक requirements होती है उनके आधार पर quickly एक dummy prototype बनाया जाता है और उसे client को दिखाया जाता है। client उसका मूल्याकंन करने के बाद अपना feedback प्रदान करता है। अब feedback के आधार पर एक नया प्रोटोटाइप बनाया जाता है और पिछले वाले को छोड़ दिया जाता है। वह final prototype का हिस्सा नही बनता है।

2) Evolutionary Prototyping –
यहाँ हम एक prototype बनाते है और फिर client के feedback के आधार पर उसे refine किया जाता है। अर्थात हम इस method में दुबारा नया prototype नहीं बनाते बल्कि पिछले वाले में ही modification करते है। ऐसा तब तक किया जाता है जब तक client उसको final product consider न कर दें। Rapid throwaway prototyping के मुकाबले यह time को save करता है क्योंकि इसमें incremental development approach को follow किया जाता है।

3) Incremental Prototyping –
यह उप्पर के दो prototyping के प्रकारों से बिल्कुल अलग है। इसमें हम final product की जो requirements है उनको विभिन्न भागों में तोड़ते है और प्रत्येक भाग का एक separate prototype बनाते है। अंत मे उन सभी prototype के भागों को एक साथ merge कर देते है। जो एक final product बन जाता है।

4) Extreme Prototyping –
इस method का उपयोग web development में किया जाता है। इसमें तीन sequential phases होते है। पहले phase में, HTML format में एक basic prototype create किया जाता है, जिसमे सभी मौजूदा pages होते है। अगले चरण में services layer का उपयोग करके data process को simulate करते है। अंतिम चरण मे, services को implement किया जाता है।

Advantage & Disadvantage of Prototype Model in Hindi

इस टेबल के माध्यम से आप जान पाएंगे कि software development process में Prototype Model को चुनने के advantage और disadvantage क्या है।

AdvantageDisadvantage
चूंकि client के approval के बिना हम s/w develop नहीं कर सकते, इसलिये ये संभावना बहुत कम है कि बाद में s/w reject हो जाये।अगर client की requirements बार-बार बदल रही हो तो कई बार prototype को develop करने में बहुत अधिक समय लग जाता है।
Client से quick feedback प्राप्त होते है जिससे better s/w build करने में मदद मिलती है।हर बार जब client द्वारा prototype को evaluate किया जाता है तो requirements में बहुत भिन्नता देखने को मिलती है।
चूंकि client को software का working model प्रदान किया जाता है, इससे उसे overall idea मिल जाता है कि end product कैसा होने वाला है। इससे client satisfied भी रहता है।Client द्वारा बताए गए सभी changes को implement करना बहुत difficult होता है।
S/W की designing में client लगातार involve होता है।चूंकि इस मॉडल में client का लगातार involvement आवश्यक है ऐसे में client का project के प्रति committed होना जरूरी है।
इस मॉडल में errors और missing functionalities को शुरुवाती stage में ही identified कर लिया जाता है।अगर client शुरुवाती prototype से प्रभावित नही हुआ तो वह final product में interest खो सकता है।

Conclusion (संक्षेप में)

क्या है प्रोटोटाइप मॉडल? इस मॉडल में actual s/w को develop करने से पहले उसका एक prototype बनाया जाता है। जिसे हम s/w का working model भी कहते है। इसे फिर client evaluate करता है और अपना feedback देता है, जिसके आधार पर प्रोटोटाइप में फिर से काम किया जाता है। जब तक कि ऐसा प्रोटोटाइप न बन जाए जिसे client accept कर दें, हम product को develop करना शुरू नहीं करते।

तो, उम्मीद है इस लेख What is Prototype Model in Hindi को पढ़ने के बाद आपकी इस विषय से सम्बंधित सभी शंकाये दूर हो गयी होंगी। यदि फिर भी कोई सवाल या सुझाव आपके पास हो तो कृपया कमेंट के माध्यम से हमे बताएं।

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