Secondary Memory क्या है और उसके प्रकार?

कंप्यूटर में Secondary Memory क्या है? पोस्ट में हम इसे अच्छे से समझेंगे। यह तो आप जानते ही होंगे कि Computer Memory दो प्रकार की होती है, प्राइमरी और सेकेंडरी। अब चूंकि हम कंप्यूटर में अपनी फाइलों, सॉफ्टवेयर, फोटोग्राफ और अन्य प्रकार के डेटा को लंबे समय तक सेव करके रखते है।

Secondary Memory Kya Hai Hindi

तो ये कार्य Primary Memory के द्वारा नही किया जा सकता क्योंकि वह Volatile प्रकृति की होती है, जिसका अर्थ हुआ कि वे डेटा को स्थायी रूप से (Temporary) स्टोर करती है। कंप्यूटर के बंद होते ही इन Memory Device में स्टोर डेटा पूर्ण रूप मिट जाता है। इसीलिए कंप्यूटर में Secondary Memory को उपयोग में लिया जाता है।

यह Storage Device कंप्यूटर में आपके प्रोग्राम और डेटा को स्थायी रूप से (Permanently) स्टोर करके रखती है। इन Memory में स्टोर डेटा को सिर्फ यूजर ही डिलीट कर सकता है। Hard Disk और Solid-State Drive इनके सबसे सामान्य उदाहरण है। आगे हम Secondary Memory के उदाहरण और उनके उपयोगों के बारे में जानेगें। लेकिन सबसे पहले कंप्यूटर में सेकेंडरी मेमोरी क्या है? इसे समझें।

सेकेंडरी मेमोरी क्या है? (What is Secondary Memory in Hindi)

सेकेंडरी मेमोरी कंप्यूटर की Permanent Storage Device होती है। यह वह जगह है जहां बड़ी मात्रा में डेटा और सॉफ्टवेयर प्रोग्राम को स्थायी रूप से स्टोर किया जाता है। एक Secondary Memory की स्टोरेज क्षमता अधिकतम 16TB (Terabytes) तक होती है, इसके विपरीत Primary Memory अधिक से अधिक 32 GB (Gigabytes) तक ही डेटा स्टोर कर सकती है।

तो हम कंप्यूटर में जो भी फाइलें, एप्लीकेशन, मल्टीमीडिया, वीडियो, ऑडियो और फोटोग्राफ्स इत्यादि रखते है, वह सब इन Secondary Storage में स्टोर रहता है। इन्हें Secondary Memory कहने के पीछे एक कारण है, वो ये कि इनमें स्टोर डेटा को Computer Processor सीधे एक्सेस नही कर सकता, उसके लिये पहले डेटा को Primary Memory (RAM) में लोड किया जाता है। नतीजतन Secondary Memory काफी धीमी होती है RAM की तुलना में।

चूंकि इनमें स्टोर डेटा पावर चले जाने या कंप्यूटर के बंद होने की स्थिति में भी सुरक्षित रहता है, इसीलिए इन्हें Non-Volatile कहा जाता है। मुख्य रूप से डेस्कटॉप कंप्यूटर में HDD और SSD को “Secondary Memory” कहते है। हालांकि Pen Drives, CDs और DVDs इत्यादि भी इसी श्रेणी में आते है। जो Backup Memory के रूप में उपयोग किये जाते है। इनकी मुख्य विशेषता यह है कि इनकी स्टोरेज कैपेसिटी अधिक होती है और साथ ही यह सस्ती होती है।

सेकेंडरी मेमोरी के प्रकार

Secondary Memory को मुख्य रूप से चार भागों में वर्गीकृत किया जाता है:

  1. Magnetic Tape
  2. Magnetic Disk
  3. Optical Disk
  4. Flash Memory

1. Magnetic Tape

इलेक्ट्रॉनिक डेटा को स्टोर करने के लिये Magnetic Tape सबसे पुरानी स्टोरेज डिवाइस में से एक है। हालांकि कंप्यूटरों में इसका उपयोग बहुत समय पहले ही बंद हो गया था। ये एक Sequential Access Memory होती है, जिसमें स्टोर डेटा को क्रम में ही एक्सेस किया जा सकता है। उदाहरण के लिये पुराने समय मे उपयोग होने वाली Audio Cassette जिसमें अगर पांच Recording सेव है और आप चौथे नम्बर वाली को सुनना चाहते है। तो आप उसे सीधे Play नही कर सकते।

इसके लिए आपको पहली तीन रिकॉर्डिंग को क्रम में चलाना होगा तब जाके आप चौथी नंबर वाली पर पहुंच पाएंगे। अक्सर ऐसा करने के लिये टैप में लगी रिबन को घुमाया जाता था ताकि पहली तीन रिकॉर्डिंग को फास्ट फॉरवर्ड किया जा सके। कंप्यूटर में उपयोग होने वाली इन Tape Drive का डिज़ाइन आम कैसेट की तरह होता है जिसके दोंनो तरफ Plastic ribbon की रील लगी होती है जिसमें Binary data स्टोर किया जाता था।

2. Magnetic Disk Drive

Magnetic Disk को कंप्यूटर में एक मुख्य Secondary Memory के रूप में उपयोग किया जाता है। इसमें Metal से बनी एक गोलाकार Plate लगी होती है, जिस पर चुम्बकीय पदार्थ की परत चड़ी होती है। इन्हीं डिस्क प्लेट की सतह पर जानकारी स्टोर की जाती है। Magnetic Disk में इस धातु प्लेट जिसे Platter कहते है के अलावा एक Mechanical Arm भी लगा होता है। इसका काम प्लेटर की सतह में से डेटा को प्राप्त (Read) और स्टोर (Write) करना होता है।

इन Memory में Direct Access Method का प्रयोग किया जाता है डेटा को प्राप्त करने के लिये। जिसका अर्थ हुआ कि यूजर इन Secondary Memory में स्टोर किसी भी जानकरी को सीधे एक्सेस कर सकता है। Magnetic Disk के कई सारे उदाहरण है परन्तु जिन्हें मुख्य रूप से Secondary Memory के लिये कंप्यूटर में उपयोग किया जाता है वे इस प्रकार है-

  • Hard Disk Drive: इसे कंप्यूटर की प्रमुख डेटा स्टोरेज डिवाइस कहा जाता है। क्यूंकि यह सिस्टम में मौजूद एकमात्र Memory Device है जो ऑपरेटिंग सिस्टम, कंप्यूटर एप्लिकेशन और आपकी डेटा फाइलों को लंबे समय तक स्टोर करके रखती है। जिस कारण इसे Permanent Storage Device भी कहते है। Hard Drive कंप्यूटर केस के अंदर मौजूद होती है और डेटा केबल (PATA, SATA, SCSI) के माध्यम से कंप्यूटर में सिस्टम बोर्ड से कनेक्टेड होती है। आमतौर पर इनकी स्टोरेज कैपेसिटी बहुत अधिक होती है।
  • Floppy Disk: यह एक Removable Magnetic Disc होती है। जिसका उपयोग 1990 के दशक तक कम्प्यूटरों में मुख्य स्टोरेज डिवाइस के रूप में किया जाता था। हालांकि इसके बाद Optical Drives और Hard Disk ने धीरे-धीरे इसकी जगह लेनी शुरू कर दी। इसे Floppy Diskette भी कहा जाता है। यह एक लचीली Magnetic Disk की बनी होती है जिसे एक वर्ग के आकार के प्लास्टिक केस में फिट किया गया होता है।

अगर Floppy Disk में से जानकारी को Read/Write करना है तो उसके लिये आपके कंप्यूटर सिस्टम में एक Floppy Disk Drive (FDD) लगा होना चाहिये। यही कारण है कि आधुनिक कंप्यूटर में जानकारी स्टोर करने के लिये इनका उपयोग बिल्कुल बंद हो गया है। हालांकि एक कारण और है, कि Floppy Disk बहुत ही कम मात्रा में डेटा स्टोर कर सकती है। एक सामान्य 3.5 इंच डिस्क में मात्र 1.44 MB डेटा ही स्टोर किया जा सकता है।

3. Optical Disc

Optical Disc भी एक स्टोरेज माध्यम है, जिसका उपयोग हम कंप्यूटरों में अतिरिक्त Secondary Memory के रूप में करते है। इन Disc का उपयोग आमतौर पर म्यूजिक, वीडियो और सॉफ्टवेयर प्रोग्राम को स्टोर करने के लिये किया जाता है। इनमें डिजिटल डेटा को रिकॉर्ड और पुनःप्राप्त करने के लिये Laser Beam का उपयोग होता है। हालांकि यह Hard Disk के जितना डेटा स्टोर नही कर सकती परन्तु Floppy Disk के मुकाबले इनकी स्टोरेज कैपेसिटी बहुत अधिक होती है।

अधिकतर उपयोग होने वाली कुछ प्रमुख Optical Disc इस प्रकार है-

  • Compact Disc (CD): यह प्लास्टिक से बनी एक गोलाकार disc होती है, जो Optically डेटा को स्टोर करती है। अर्थात इसमें जानकारी को स्टोर और पुनःप्राप्त करने के लिये Light का उपयोग किया जाता है। CDs का उपयोग ऑडियो, वीडियो और एप्लीकेशन को स्टोर करने के लिये होता है। यह Removable होती है, यानी इसे सिस्टम में डाला और हटाया जा सकता है। एक CD में यूजर 700MB तक डेटा रख सकता है।
  • Digital Versatile Disc (DVD): आमतौर पर इसे Digital Video Disc भी कहा जाता है। यह CD के समान ही होती है। हालांकि इनमें बड़ी मात्रा में डेटा स्टोर किया जा सकता है। इन Disc की स्टोरेज क्षमता 4.7 GB से 8.5 GB तक होती है। मुख्य रूप से High-Definition (HD) वाले वीडियो या मूवीज स्टोर करने के लिये उपयोग होती है।
  • Blue-ray Disc: यह भी एक प्रकार की Optical Disc है जो आकार में CD और DVD के समान ही होती है। परन्तु इसमे इन दोनों से कई गुना अधिक डेटा स्टोर किया जा सकता है। एक Blue-ray Disc लगभग 25 GB डेटा को रख सकती है। इनमें मुख्य रूप से High-Definition की वीडियो या मूवीज स्टोर की जाती है। चूंकि डेटा को Read करने के लिए Blue Laser का उपयोग होता है, जिस कारण इसे Blu-ray कहा जाता है।

4. Flash Memory

यह एक बेहद ही लोकप्रिय Secondary Memory है, जिनका अधिकतर उपयोग डेटा का Backup रखने के लिये किया जाता है। यह अन्य Memory Device से इसलिए भिन्न है, क्योंकि इसमें डेटा को Electrically स्टोर और डिलीट किया जाता है। आमतौर पर यह एक प्रकार की EEPROM है। चूंकि ये Removable Storage Device है इसलिए इनका उपयोग एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में डेटा ट्रांसफर करने के लिये भी किया जाता है। आजकल External Memory के रूप में इनका उपयोग बहुत अधिक बढ़ गया है।

Flash Memory के कुछ उदाहरण जिनका उपयोग बखूबी होता है-

  • Memory Card: यह एक छोटी Chip होती है, जिसका उपयोग मुख्य रूप से मोबाइल फोन, कैमरा, MP3 प्लेयर और अन्य पोर्टेबल डिवाइस में डेटा रखने के लिए किया जाता है।
  • Pen Drive: यह एक Portable Storage Device है, जिसका इस्तेमाल ऑडियो, वीडियो और अन्य डेटा फाइल्स को एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में ट्रांसफर करने के लिए सबसे अधिक किया जाता है। डेस्कटॉप के USB Port मे Pan Drive को लगाकर इसमें मौजदू डेटा को आसानी से एक्सेस किया जा सकता है।
  • SSD (Solid-State Drive): यह इस जनरेशन की डेटा स्टोरेज डिवाइस है जिन्हें आजकल कम्प्यूटरों में अधिक से अधिक उपयोग किया जा रहा है। चूंकि HDDs में डेटा स्टोर और प्राप्त करने के लिये कई सारे Moving Parts का उपयोग होता है उसके विपरीत SSD में NAND Flash Memory को इस्तेमाल में लिया जाता है जिसमें किसी भी तरह का मूविंग पार्ट नही होता है। यही कारण है कि SSD बहुत फ़ास्ट स्टोरेज है HDD के मुकाबले। साइज में भी SSDs छोटी होती है हालांकि कीमत के मामले में ये HDD से काफी महंगी होती है।

Secondary Memory की विशेषताएं

1. यह Non-Volatile प्रकृति की मेमोरी होती है।

2. इनमें डेटा को स्थायी रूप से (Permanently) स्टोर किया जा सकता है।

3. Secondary Memory में कई TB (Terabytes) डेटा स्टोर करने की क्षमता होती है।

4. इनकी कीमत Primary Memory से काफी कम होती है।

5. कंप्यूटरों में Backup Memory के रूप में इनका उपयोग होता है।

प्राइमरी और सेकेंडरी स्टोरेज में अंतर

Primary MemorySecondary Memory
यह स्थायी और अस्थायी मेमोरी होती है।यह एक स्थायी मेमोरी होती है।
Primary Memory अधिक महंगी होती है Secondary Memory की तुलना में।जबकि Secondary Memory सस्ती होती है Primary Memory के मुकाबले।
इन मेमोरी में स्टोर डेटा को CPU द्वारा सीधे (Directly) एक्सेस किया जाता है।वही इन मेमोरी में स्टोर डेटा को CPU एक्सेस करे उसके लिये डेटा को पहले Primary Memory में लोड करते है।
इसे Main Memory या System Memory भी कहा जाता है।इसे Secondary Storage Device और External Memory भी कहते है।
यह एक तेज मेमोरी होती है हालांकि इनकी स्टोरेज कैपेसिटी कम होती है।जबकि Secondary Memory एक धीमी मेमोरी है लेकिन यह बड़ी मात्रा में डेटा रख सकती है।
इसके उदाहरण है – RAM, ROM, Cache Memory और Register.इसके उदाहरण है – Hard Disk और Solid-State Drive etc.

संक्षेप में

आइये अंत मे Secondary Memory क्या है? इसे थोड़ा संक्षेप में समझे। यह कंप्यूटर की वो Storage Device है जहां आप अपनी फाइलों, सॉफ्टवेयर और अन्य प्रकार के डेटा को स्थायी रूप से रख सकते है। Primary Memory से ये इसलिए अलग है क्योंकि यह बड़ी मात्रा में डेटा को स्टोर कर सकती है। तो उम्मीद है, पोस्ट पढ़कर आप समझ पाए होंगे कि कंप्यूटर में सेकेंडरी मेमोरी किसे कहते है? लेकिन इससे सम्बंधित कोई सवाल या सुझाव हो तो कृपया कमेंट के माध्यम से बताये।

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